(10+) Best Alone Shayari - अलोन शायरी

 









Alone Shayari / अलोन शायरी


बेंइंतिहा मुस्किल नम सन्नाटे उगाये है, हमने तन्हाईयों को कभी जाया नही किया

कुछ अधूरापन था जो पूरा हुआ ही नहीं, कोई था मेरा जो कभी मेरा हुआ ही नहीं

ज़िन्दगी यु हुई बसर तनहा , काफिला साथ और सफर तनहा। 

ज़िंदगी के ज़हर को य है के पी रहे है , तेरे प्यार बिना यु ही ज़िन्दगी जी रहे है।

बिन तेरे मेरी हर खुशी अधूरी है, फिर सोच तू मेरे लिए कितनी जरूरी है

शाम-ए-फिराक ज़ख्म-ए-जिगर और ये ग़ज़ल , यादे तुम्हारी दीदा-ए-तर और ये ग़ज़ल। 

कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी, हजारो लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है

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